"पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ट्रैकिंग के लिए जल्द बने कमांड सेंटर"

जयपुर। अंतरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और राहत : द सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. कमलजीत सोई ने शुक्रवार को महिला सुरक्षा को लेकर एक गंभीर विषय की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने राजस्थान सरकार से सभी पब्लिक सर्विस व गुड्स वाहनों में पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) को अनिवार्य करने की मांग की। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग सभी आरटीओ कार्यालयों को आदेश दे कि उन्हीं वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जाए, जिनमें वाहन निर्माता या अधिकृत डीलर द्वारा वीएलटीडी लगाया गया हो। साथ ही, राज्य में जल्द कंट्रोल एंड कमांड सेंटर बनें और इनसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन जुड़ें।

पत्रकारों से बातचीत में डॉ. सोई ने कहा कि वर्ष 2012 में दिल्ली में निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने पूर्व जस्टिस जे.एस. वर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। अपनी अन्य अनुशंषाओं के साथ जस्टिस वर्मा कमेटी ने पब्लिक ट्रांसपोर्ट बसों में टेंपर प्रूफ जीपीएस सिस्टम लगाने की सिफारिश की थी। 28 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, 1989 में रूल 125-एच को शामिल करते हुए नेशनल परमिट के सभी पब्लिक सर्विस व गुड्स वाहनों में पैनिक बटन और व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगाना अनिवार्य कर दिया था।

डॉ. सोई के अनुसार केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के 15 जनवरी 2020 को जारी पत्र के अनुसार परिवहन विभाग, राजस्थान ने डेली इंट्रीगेटेड मल्टी मॉडल ट्रांजिट सिस्टम (डीआईएमटीएस) को स्टेट प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कंसलटेंट नियुक्त किया। सराहनीय बात यह है कि परिवहन विभाग, राजस्थान ने सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के रूल 126 के तहत वीएलटीडी लगे वाहनों से आपातकाल में पैनिक बटन से आने वाले अलर्ट्स की मोनिटरिंग के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की एआईएस 140 कंप्लेंट वाहन इंट्रीगेटेड नेशनल वीएलटी बैकएंड एप्लीकेशन को अपनाया।

उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि बीएसएनएल की उपलब्ध कराई एप्लीकेशन के बावजूद राज्य में वाहनों को ट्रैक नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेघालय और उत्तर प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान सरकार को तत्काल ओरिजनल इक्विप्मेंट मैन्यूफैक्चरर (ओईएम) वैंडर्स को पंजीकृत कर यात्रियों और वाहनों की सुरक्षा के लिए ट्रैकिंग प्रारंभ कर देनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि सभी नए वाहन ओईएम के स्वीकृत व्हीकल ट्रैकिंग डिवाइंस के साथ आ रहे हैं। पुराने वाहनों को भी जल्द इस नेटवर्क के दायरे में लाया जाना चाहिए। डॉ. सोई ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए निर्भया फंड से राजस्थान को 15.40 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। चूंकि, बीएसएनएल अपने सिस्टम का कोई चार्ज नहीं ले रहा है, इसलिए परिवहन विभाग, राजस्थान इस फंड से डाटा चार्ज में छूट देकर वाहन चाहकों को कुछ राहत प्रदान करे।