"प्रवासी रचनाकार के नाते अनुवाद हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी"

नीदरलैंड्स। आजादी के अमृत महोत्सव और विश्वरंग महोत्सव 2022 के अन्तर्गत “साझा संसार” की पहल पर ‘प्रवास मेरा नया जन्म’ ऑनलाइन सम्पन्न हुआ। इस आयोजन की अध्यक्षता सिंगापुर निवासी वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी पत्रिका ‘सिंगापुर संगम’ की सम्पादक एवं संस्थापक डॉ संध्या सिंह ने की।
डॉ सिंह ने अनुवाद की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि प्रवासी रचनाकार के नाते अनुवाद हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। प्रवासी साहित्यकार आम जनजीवन से सरोकार रखे और स्थानीय समाज की आवाज बने। आयोजन के संयोजक रामा तक्षक ने युवा प्रवासी भारतीय रचनाकारों से आग्रह किया कि वे नास्टेल्जिया से उबरें। रचनाकार के विकास के लिए प्रवास देश की स्थानीय, राजनीतिक, भौगोलिक व दार्शनिक गतिविधियों के साथ ही साथ वैज्ञानिक गतिविधियों की नाड़ी पर हाथ रखना बहुत आवश्यक है। तभी भारतीय साहित्य समृद्ध होगा।
अमेरिका से उमेश ताम्बी ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपने अमेरिकी प्रवास के दो दशकों के अनुभव साझा करते हुए बताया कि प्रवास जीवन आसान नहीं है। अमेरिकी जीवन में एकाकीपन, कठोर मेहनत, स्थानीय लोगों के व्यवहार, ग्रीन कार्ड, न के बराबर ध्वनि प्रदूषण और मिसीसिपी नदी के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह भी बताया कि फिलाडेल्फिया अमेरिका की जननी है।
इस अवसर पर जर्मनी से डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना ने जर्मन संस्कृति पर रोचक कविता व नीदरलैंड्स से इन्द्रेश कुमार ने “आम सबको खाना है, पेड़ नहीं लगाना है” रचना सुनाई। आयोजन का संचालन अपने काव्य पाठ के साथ विश्वास दुबे ने किया।

Comments