देश में बड़े बदलाव के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होना होगा : आईपीएस डॉ. अमृता

जोधपुर। देश में बड़े बदलाव के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होना होगा तभी विकसित भारत की कल्पना साकार हो सकती है। यह कहना है आईपीएस अधिकारी डीसीपी (पूर्व) जोधपुर डॉ. अमृता दुहन का। वे गुरुवार को राष्ट्रीय फैशन प्रौद्यौगिकी संस्थान (निफ्ट) में “एक विकसित राष्ट्र के लिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत” विषय पर बोल रही थीं। डॉ. अमृता ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने विकसित भारत की थीम रखी है इसके लिए देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की सख्त आवश्यकता है। आज विश्व में भारत की एक अलग पहचान है, क्रिकेट से लेकर भारतीय सिनेमा विश्व पटल पर लोहा मनवा रहा है लेकिन देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो असाक्षर या गरीब है, ऐसे में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की जरूरत है। इसके लिए जनसहभागिता की आवश्यकता है तब भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार किया जा सकता है। इसके लिए सिस्टम को भी पारदर्शी और जवाबदेही बनाना होगा।
डिजिटल युग की बात करते हुए डॉ. अमृता ने कहा कि आज सोशल मीडिया के दौर में जवाबदेही बढ़ गई है, ऐसे में भ्रष्टाचार करना आसान नहीं रहा है लेकिन किसी भी कैम्पेन को क्रांति में बदलने के लिए आम व्यक्ति का जुड़ना जरूरी है। जड़ों में सुधार करके ही स्थाई विकास संभव है और तकनीक व सुधार के माध्यम से व्यवस्था को मजबूत करके ही नागरिकों के हितों की रक्षा हो सकती है।
डॉ. अमृता ने राजस्थान एसीबी का जिक्र करते हुए कहा कि आज इस विभाग के कार्यों की देश में चर्चा है। यहां भी शिकायतकर्ता की पहचान को गोपनीय रखा जाता है लेकिन यह संभव तब ही हुआ जब हममें से कुछ जागरूक लोग आगे आए। जनसहभागिता के साथ ही भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को साकार कर विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है।
राष्ट्रीय फैशन प्रौद्यौगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. जीएसएस प्रसाद ने कहा कि देश के निर्माण में कई महापुरुषों का योगदान है, आज हमको उनके मूल्यों और सि़द्धांतों को अपनाने की जरूरत है, क्योंकि भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए अवेयरनेस लानी होगी तब जाकर हर तरफ फैले भ्रष्टाचार से निजात मिल पायेगी और विकसित राष्ट्र का निर्माण होगा।
संस्थान के संयुक्त निदेशक अनिल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह जीवन में ईमानदार, सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता को बढ़ावा देकर राष्ट्र निर्माण के संकल्प को मजबूत करेगा। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी हो, जनभागीदारी बढ़े और जवाबदेही तय हो। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. अदिति मेड़तिया ने किया।

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