देश में कोरोना की पहली लहर में 1 दिन में 1 लाख मरीजों का आंकड़ा पार नहीं हुआ था। 16 सितंबर 2020 को 97,860 का अधिकतम आंकड़ा था। लेकिन दूसरी लहर में 4 अप्रैल 2021 को 1,03,358 मरीजों के साथ प्रतिदिन के एक लाख मरीजों का आंकड़ा पार हो गया। इसके तीन दिन बाद 7 अप्रैल को जब रिकॉर्ड 1.15 लाख नए केस मिले थे, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की थी। “परीक्षा पे चर्चा!” स्टूडेंट्स, टीचर्स और पेरेंट्स से चर्चा में उन्होंने कठिन चीजों को पहले सुलझाने की बात कही थी। यह दीगर बात है कि जिस दिन पूरे कोरानाकाल के रिकॉर्ड मरीज मिल रहे थे, वैसी कठिन चीजों के बीच उन्होंने डेढ़ घंटे ‘परीक्षा पे चर्चा’ के लिए भी निकाल लिए, उन परीक्षाओं पर चर्चा के लिए जो बाद में कोरोना की सुनामी के कारण हो ही नहीं पाई। पूरी क्रोनोलॉजी (क्रोनोलॉजी शब्द को आप भूले नहीं होंगे) को देखें तो पाएंगे कि दूसरी लहर ने संभलने का पूरा मौका दिया था। लेकिन रिकॉर्ड एक लाख केस के दिन ‘परीक्षा पे चर्चा’ और उसके बाद भी लगातार चुनावी रैलियां करते रहने से गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। कठिन चीजों को पहले हल करने का सुझाव अच्छा है, लेकिन कठिन चीजों को क्या वे समझ पाए?
- संजीव माथुर