सीपीआर से बच सकती है जान, इंडियन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कर रही जागरूक

जयपुर। देश में हर एक मिनट में 112 लोगों को कार्डियक अरेस्ट आते है। गोल्डन ऑवर्स में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) जैसे बेसिक लाइफ सपोर्ट देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। लेकिन सीपीआर क्या है? इससे कई लोग अनजान है। सीपीआर को लेकर लोगों में जनजागृति करने के उद्देश्य से इंडियन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के तत्वावधान में प्रशिक्षण कार्यक्रम जयपुर सहित देशभर में किया जा रहा है। नेशनल सीपीआर डे के उपलक्ष्य में सीपीआर के प्रति लोगों को जागरूक करने और उन्हें प्रशिक्षण देने का इंडियन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने बीड़ा उठाया है। इसकी शुरू़आत रविवार को जय क्लब के परिसर में प्रशिक्षण कार्यक्रम से की गई है। पूरे सप्ताह यह कार्यक्रम किया जाएगा। सेंट्रल इंडियन अकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के राष्ट्रीय सदस्य डॉ. अनुराग तोमर ने बताया कि देशभर में अकैडमी की ओर से सीपीआर की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि समय पर लोगों की जान बचाई जा सके। हर मेडिकल कॉलेज, स्कूल, बैंक आदि संस्थानों के कर्मचारियों को उक्त प्रशिक्षण दिया जाएगा। डॉ. एस. सीतारमन ने बताया कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक लाइफ सेविंग तकनीक है, जो हार्ट अटैक जैसी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। अगर किसी व्यक्ति की हृदय गति रुक जाए तो घर से हॉस्पिटल पहुंचने के दौरान सीपीआर जीवन रक्षक की तरह काम करता है। अकैडमी के जयपुर सचिव डॉ. सूर्या सेठी ने बताया कि आम लोग इस ट्रेनिंग का हिस्सा बन सके, इसके लिए अकैडमी प्रयासरत है। इस दौरान डॉ. नेहा अग्रवाल ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार देश में हर मिनट में 112 लोग कार्डियक अरेस्ट का शिकार होते हैं। इनमें से 70 से 80 फीसदी लोग राहगीर होते हैं। डॉ. राजप्रीत सोनी ने कहा कि ऐसे में गोल्डन ऑवर्स में बेसिक लाइफ सपोर्ट मिलने से इनकी जान बचाई जा सकती है। डॉ. राजकुमार गोयल ने कहा सीपीआर की जानकारी अभी लोगों तक पहुंचनी जरूरी है। इस कार्यक्रम में डॉ. राजीव बगरहट्टा प्रधानाचार्य एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही जय क्लब के अध्यक्ष डॉ. हरिओम बम, उपाध्यक्ष प्रकाश अजमेरा, सचिव मनोज दासोत, कोषाध्यक्ष डॉ. सुरेंद्र काला एवं मेडिकल हेल्थ चेयरमैन डॉ. जी.एल. शर्मा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. आर.एल. तांबी आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे। रविवार को हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम का जय क्लब के सदस्य, जयपुर साइकिल राडर ग्रुप, जय क्लब के कर्मचारी, आम युवा आदि हिस्सा बने। इन्होंने सीपीआर के तौर-तरीके डॉक्टरों से सीखे। डॉ. एस. सीतारमन, डॉ. राजप्रीत सोनी, डॉ. सुनील दत्त शर्मा ने प्रशिक्षण दिया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. नेहा अग्रवाल ने किया।

क्या है सीपीआर
डॉ. अनुराग तोमर ने बताया सीपीआर को कार्डियोकपल्मोनरी रिससिटेशन कहते हैं। अगर किसी कारणवश कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो और उसके दिल की धड़कनें बंद हो गई हो या पल्स नहीं चल रहा हो, तो ऐसी स्थिति में सीपीआर ही दी जाती है। इसकी मदद से मरीज को सांस लेने में सहायता मिलती है। दरअसल, सीपीआर देने के दौरान हार्ट और ब्रेन में ब्लड सर्क्युलेशन में सहायता मिलती है। सीपीआर की मदद से व्यक्ति को एक नया जीवन भी मिल सकता है।

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