अदृश्य चित्रों में कला, विज्ञान और भावनाओं का संगम

जयपुर। जवाहर कला केंद्र की सुरेख कला दीर्घा में 12 से 16 अगस्त तक चली अदृश्य चित्रों की प्रदर्शनी में कला, विज्ञान और भावनाओं का संगम दिखा। कला दीर्घा की दीवारों पर सजे खाली फ्रेमों ने एकबारगी तो चौंकाया, फिर दीर्घा की लाइटें बंद कर फ्रेमों पर अल्ट्रा वायलेट ब्लू लाइट की किरणें डालकर जब दिखाया गया तो उभरी कलाकृतियों में कला और विज्ञान का संगम तो दिखा ही, भावनाओं की भी समान भागीदारी दिखी।

इनमें से एक महात्मा गांधी की कलाकृति का शीर्षक था – Invisible Father of the Nation

गांधीजी के बंदर तीन, तीनों बंदर दिशा विहीन,
बापू के रक्त रंजित नयन, मानव सब हिंसा में लीन।

Mahatma Gandhi is our father of the nation and is famous for his teachings of ‘Truth and non-violence’. He taught us through his famous 3 monkeys, where one says, “we should not see bad things”. Second says, “we should not speak bad things.” The third one says, “we should not listen to the bad words.” Now a days there is lot of violence in our country, and it seems his monkeys are not obeying him. The three monkeys have started seeing, speaking and listening bad things respectively. Gandhi ji is not present among us, in other words, he is INVISIBLE. But, where ever he might be, he is weeping and his eyes are filled with tears of blood.

कलाकारों की ये भावनाएं महात्मा गांधी की इस कलाकृति में दिखाई दे रही थी। इसी तरह खाली फ्रेमों पर जैसे-जैसे अल्ट्रा वायलेट किरणें डाली गईं, यूक्रेन युद्ध की त्रासदी, एक प्रताडि़त महिला डॉक्टर की आत्महत्या में भी भावनाओं का ज्वार दिखा। इनके अलावा भगवान राम, भगवान शिव, जमशेदजी टाटा, धीरूभाई अंबानी, नरेंद्र मोदी, बुर्ज खलीफा, ताजमहल, एफिल टावर सहित कुल 23 कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं। देश की यह पहली इन्विजिबल पेंटिंग्स एग्जीबिशन जयपुर के दो दोस्तों डॉ. प्रशांत शर्मा और नीरव कुलश्रेष्ठ ‘इनसेन’ द्वारा ईजाद की गई चित्रकला की नवीन शैली पर आधारित थी। डॉ. प्रशांत शर्मा जयपुर के भगवान महावीर कैंसर अस्पताल में विशेषज्ञ सर्जन हैं। वहीं नीरव कुलश्रेष्ठ कला व सृजन क्षेत्र से जुड़े हैं तथा इनसेन के नाम से जाने जाते हैं।

रंगों के साथ खास कैमिकल्स का इस्तेमाल
पेंटिंग्स को अदृश्य करने के लिए रंगों के साथ खास कैमिकल्स का इस्तेमाल किया गया है। इन्हें अंधेरे में विशेष किस्म की किरणें डालकर जीवंत किया जाता है। कलाकार नीरव बताते हैं कि सिंगल स्ट्रोक पेंटिंग करनी होती है, क्योंकि एक बार खींची गई लकीर को सुधारने का विकल्प नहीं होता। जैसे-जैसे आकृति बनती चली जाती है, इसके साथ ही वो अदृश्य होती चली जाती है, फिर उसे विशेष रोशनी के माध्यम से ही देखा जा सकता है।

पैतृक गांव, कच्चा घर
एक कलाकृति में डॉ. प्रशांत ने पैतृक गांव और कच्चे घर को उकेरा है। शहर की आपाधापी में पैतृक गांव व घर की यादें सुकून भरी लगती है।

यूक्रेन युद्ध की त्रासदी
कलाकार नीरव बताते हैं कि कैसे यूक्रेन युद्ध के दौरान उन्होंने इस त्रासदी को कैनवास पर उकेरा। जब उन्होंने एक छोटे बच्चे की फोटो देखी तो उसको चित्रित करते हुए उसके भविष्य की अनिश्चितता और उत्पन्न निराशा को अभिव्यक्त किया।

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