'जीरो वेस्ट इनिशिएटिव: एक सहयोगात्मक कार्यशाला' का आयोजन

जयपुर। अंतर्राष्ट्रीय जीरो वेस्ट दिवस के उपलक्ष्य में एपीजे अब्दुल कलाम राजकीय कन्या महाविद्यालय, गंगापोल में ‘जीरो वेस्ट इनिशिएटिव: एक सहयोगात्मक कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। कार्यशाला का संयोजन अमृतांश फाउंडेशन एंव अन्य स्वयंसेवी संगठनो के साथ मिलकर किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य युवा महिला छात्राओं को जीरो वेस्ट के प्रति सचेत करना और उन्हें इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करना था।

कार्यशाला में छात्राओं को रोज़मर्रा के जीवन में उत्पन्न होने वाले कचरे को कम करने और उसे उपयोगी रूप में परिवर्तित करने की विभिन्न तकनीकों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम के आरंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर हेमंत पारीक ने अपने स्वागत भाषण में वेस्ट की उत्पत्ति एवं उससे होने वाले स्वास्थ्य विकारों से विद्यार्थियों को अवगत कराया। प्रो. पारीक ने कहा कि वर्तमान में कचरा प्रबंधन हमारे समाज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें भारतीय परंपरा के अनुसार न्यूनतम कचरा उत्पन्न करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।

खाटू डिजाइंस की संस्थापक सदस्य मीनाक्षी सिंह ने कचरे को रोकने एवं पुनर्चक्रित कर उपयोगी बनाने के नवीन उपायों पर प्रकाश डाला। वहीं, अमृतांश फाउंडेशन के आनंदमणि शुक्ला ने ऑर्गेनिक वेस्ट को कम करने और उसे घरेलू खेती के लिए कंपोस्ट में परिवर्तित करने के तरीके साझा किए। कार्यक्रम में टैक्सटाइल क्षेत्र में कचरा प्रबंधन हेतु शोध कर रही संस्था रेटेक्स की संस्थापक डॉ. ए. अन्विता सुदेशना ने क्लोथिंग के कचरे के प्रबंधन को विस्तार पूर्वक समझाया। राजस्थान विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग के डॉ. अमित कोटिया ने इकोलॉजिकल बैलेंस और क्लाइमेट चेंज को नियंत्रित करने के लिए अनुकूल पौधों की जानकारी साझा की। किचन गार्डन संगठन की अनीता गोयल ने विभिन्न प्रकार के कचरे को सजावटी सामान में परिवर्तित करने के दृष्टांत प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में शहरों में कचरा प्रबंधन और समझा। साथ ही, उन्हें अपने समुदायों में जीरो वेस्ट प्रथाओं को अपनाने और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया गया। महाविद्यालय की वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रोफेसर निधि माथुर, अनीता कटारा, डॉ. दिलीप परमार, डॉ. राजकुमार बेरवा और डॉ. बचन सिंह ने भी अपने विचार साझा किए और छात्राओं को स्थायी जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम का समापन एक इंटरेक्टिव सेशन के साथ हुआ, जिसमें छात्राओं ने अपने समुदायों में जीरो वेस्ट प्रथाओं को लागू करने के लिए योजनाएँ बनाईं और चर्चा की। इस कार्यशाला ने न केवल जीरो वेस्ट की दिशा में जागरूकता बढ़ाई बल्कि युवा महिलाओं को इस क्षेत्र में एक सक्रिय और प्रेरणादायक भूमिका निभाने के लिए भी प्रेरित किया।

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