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गर्मी के मौसम में सावधानी बरते की बहुत जरूरत है। हीट वेव यानि लू व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इस दौरान हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
एक रिपोट्स के अनुसार अमेरिका में हर साल हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 1300 से ज्यादा डेथ्स के लिए जिम्मेदार एक्स्ट्रीम हीट और हीट वेव्स हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित वर्ष 2023 की एक स्टडी के मुताबिक तेज गर्मियों और हीट वेव के दौरान हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ जाता है। यह स्टडी चीन में हुई है, जिसमें वर्ष 2015 से लेकर 2020 के बीच हार्ट अटैक से हुई दो लाख से ज्यादा मौतों की डीटेल केस स्टडी की गई। स्टडी में सामने आया कि हार्ट अटैक और उससे डेथ के केसेज गर्मी में अचानक बढ़ गए।
इन स्थितियों में बढ़ जाती है हार्ट अटैक की आशंका
- तापमान बहुत ज्यादा बढ़
- ने पर यानी एक्स्ट्रीम गर्मी
- तापमान बहुत ज्यादा कम होने पर यानी एक्स्ट्रीम ठंड
- वातावरण में पीएम2.5 (पर्टिकुलेट मैटर) ज्यादा बढ़ने पर यानी वायु प्रदूषण
- गर्मी और प्रदूषण दोनों साथ बढ़ने पर
गर्मियों में हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है
दरअसल, हमारा शरीर दो तरीकों से अतिरिक्त गर्मी को शरीर से बाहर निकालता है और शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करता है। इन दोनों ही प्रक्रियाओं में हृदय पर जोर पड़ता है। शरीर अपना नॉर्मल टेम्प्रेचर बनाए रखने के लिए शरीर जिस दूसरी प्रक्रिया को अपनाता है, वो है इवोपोरेशन यानी पसीने के माध्यम से शरीर की अतिरिक्त गर्मी को बाहर निकालना और शरीर को ठंडा रखने की कोशिश करना। गर्मियों में ज्यादा पसीना इसलिए आता है क्योंकि शरीर लगातार खुद को ठंडा रखने के लिए मेहनत कर रहा होता है। इन दोनों प्रक्रियाओं में हमारी रक्त वाहिकाओं में दौड़ रहे रक्त की बड़ी भूमिका है। ब्लड सर्कुलेशन पर दबाव बढ़ने का अर्थ है हृदय पर दबाव बढ़ना क्योंकि आखिर हार्ट ही तो वो पंप स्टेशन है, जो पूरे शरीर में ब्लड को सर्कुलेट करने का काम कर रहा है। इसलिए जब हवा का तापमान शरीर के तापमान के करीब या उससे ज्यादा हो जाता है तो शरीर को गर्मी से बचाने के लिए हृदय को तेजी से धड़कना पड़ता है, अधिक ब्लड पंप करना पड़ता है। गर्म और हृयूमिडिटी वाले दिनों में हमारा हार्ट ठंडे दिनों की तुलना में प्रति मिनट दो से चार गुना ज्यादा ब्लड सर्कुलेट करता है।
ये बरतें सावधानी
- जो 60 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं या जो लोग अन्य कारणों से हार्ट अटैक के खतरे की जद में हैं,सचेत रहना चाहिए। उन्हें मौसम के मुताबिक अपने मेडिकेशन को बदलने या जारी रखने के लिए एक बार डॉक्टर से मिलकर परामर्श जरूर लेना चाहिए।
- तापमान बढ़ने पर घर को ठंडा रखने के हर संभव उपाय करें। कोशिश करें कि एसी-कूलर में ही रहें। तेज धूप और लू में घर से बाहर न निकलें। अगर निकलना बहुत जरूरी है तो बचाव के सारे उपायों के साथ जाएं।
- हल्के, सूती और नर्म टेक्सचर के कपड़े पहनें।
- ज्यादा मसाले वाला ला भुना भोजन भी शरीर के तापमान को बढ़ाता है, पाचन तंत्र समेत पूरे शरीर पर अतिरिक्त वर्क प्रेशर डालता है। इससे बचे। बॉडी को ठंडा रखने के लिए कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स या शुगरी ड्रिंक्स न पिएं। इसकी जगह सत्तू, कैरी की छाछ, छाछ आदि का सेवन कर सकते है।
- बिना डॉक्टरी सलाह के खुद से कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। हार्ट हेल्थ कंडीशन के लिए दी जाने वाली कुछ दवाएं जैसे कि बीटा ब्लॉकर्स, ऐस रिसेप्टर ब्लॉकर्स, ऐस इनहिबिटर, कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स वगैरह से हार्ट का हीट रिस्पांस प्रभावित हो सकता है। आप इन दवाओं को लेने और बंद करने का निर्णय स्वयं न करें।