हजारों युवाओं ने राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने की शपथ ली

अलवर। राजस्थानी भाषा की जागरूकता को लेकर राजस्थानी युवा समिति प्रदेश भर में संभाग स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, वाराणसी में हजारों राजस्थानियों को राजस्थानी की मान्यता हेतु हो रहे संघर्ष से अवगत करवाने के बाद अब अलवर में राजस्थानी युवा समिति का भोळावणी उच्छब “हेलों मायड़ भासा रौ” हुआ। हजारों की संख्या में युवाओं को समिति के राष्ट्रीय सलाहकार राजवीर सिंह चलकोई ने कई सौ साल पहले बृज बोली में बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ द्वारा लिखे दोहे सुनाकर ये प्रमाणित किया कि बृज, मेवाती और अन्य सभी बोलियां राजस्थानी भाषा का शताब्दियों से अभिन्न अंग है एवं ये बोलियां मिलकर ही राजस्थानी भाषा का निर्माण करती है, लिपि के प्रश्न पर उत्तर देते हुए राजवीर ने बताया मुड़िया, महाजनी ये सब हमारी लिपिया रही है परंतु जिस तरह 8वीं अनुसूची में 10 भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती है, एक और राजस्थानी भी जुड़ जाएगी। अलवर से समिति का मत स्पष्ट करते हुए राजवीर ने कहा कि अगर अब 8 करोड़ राजस्थानियों की भाषा को सम्मान नहीं मिलता तो परिणाम सरकार की जिम्मेदारी होगी। राजवीर ने बताया मेवाती, बृज का भी राजस्थानी में उतना ही महत्व है जितना राजस्थान के अन्य बोलियों का है। इतिहास विद राजवीर ने युवाओं से राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय उदाहरणों के साथ संवाद किया एवं तथ्यों पर बात की। उन्होंने अलवर के युवाओं को समझाते हुए बताया कि जब मेवाड़ के राजा का लिखा खत हसन खां मेवाती समझ सकता है तो इसका मतलब है राजस्थानी एक ही भाषा है बस बोलियां अलग है। अलवर के युवाओं ने एक स्वर में राजस्थानी को राजभाषा बनाने का समर्थन किया, हजारों युवाओं ने राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने की शपथ ली।

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